ऐ मेरी ज़िंदगी तुझे ढूँढूं कहाँ

9 March 2013

ऐ मेरी ज़िंदगी तुझे ढूँढूं कहाँ
ना तो मिल के गये ना ही छोड़ा निशाँ
ऐ मेरी ज़िंदगी तुझे ढूँढूं कहाँ


ना वो लय आज रही ना वो महमिल रहा
पास मंज़िल पे आके लुटा कारवाँ हो लुटा कारवां
ऐ मेरी ज़िंदगी तुझे ढूँढूं कहाँ


ये सितारे नहीं ग़म के आँसू हैं ये
रो रहा है मेरे हाल पर आसमां हाल पर आसमां
ऐ मेरी ज़िंदगी तुझे ढूँढूं कहाँ


तुमसे मिलके ही मस्ती में खोये थे हम
आँखें खुलीं तो उजड़ा हुआ था जहाँ अब मैं जाऊँ कहाँ
ऐ मेरी ज़िंदगी तुझे ढूँढूं कहाँ
है ज़मीं के दाये नहीं तेरा निशाँ
ऐ मेरी ज़िंदगी तुझे ढूँढूं कहाँ
तुझे ढूँढूं कहाँ, तुझे ढूँढूं कहाँ...
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