ज़िंदगी मैं भी मुसाफ़िर हूँ...

9 March 2013

ज़िंदगी मैं भी मुसाफ़िर हूँ तेरी कश्ती का
तू जहाँ मुझसे कहेगी, मैं उतर जाऊँगा - मुईन नज़र


ना सुनो, गर बुरा कहे कोई
ना कहो, गर बुरा करे कोई - ग़ालिब


जो देखने में बहुत ही क़रीब लगता है
उसी के बारे में सोचो, तो फ़ासिला निकले - वसीम बरेलवी


मुझे फूँकने से पहले, मेरा दिल निकाल लेना
ये किसी की है अमानत, मेरे साथ जल न जाये - अनवर मिर्जा
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